UP Board की कॉपियों में इमोशनल नोट्स ने सबको चौंकाया, छात्रों ने गरीबी, पढ़ाई और शादी की धमकी देकर पास करने की लगाई गुहार।
UP Board की कॉपियों में दर्द भरे इमोशनल नोट्स: ‘सर पास कर दीजिए, नहीं तो पापा शादी करा देंगे’ — शिक्षकों के भी छलके आंसू
उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले में चल रही UP Board Exam 2025 की कॉपी जांच के दौरान एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने शिक्षकों को भावुक कर दिया। जहां एक ओर छात्र अपने उत्तरों के ज़रिए नंबर बटोरने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं कुछ छात्रों ने उत्तर पुस्तिकाओं में emotional notes लिखकर शिक्षकों से सीधे दिल से अपील कर दी — “सर पास कर दीजिए नहीं तो पापा मेरी शादी करा देंगे।”
हर साल लाखों परीक्षार्थी UP Board Result 2025 के लिए मेहनत करते हैं, लेकिन कुछ छात्र-छात्राएं ऐसे भी होते हैं जो exam stress और पारिवारिक दबाव के चलते उत्तर पुस्तिकाओं को ही अपना इमोशनल मंच बना लेते हैं। इस बार Bareilly Copy Checking Center पर जो नोट्स मिले हैं, वे न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं बल्कि समाज में छात्राओं की स्थिति का भी आईना दिखाते हैं।
गरीबी, पढ़ाई और शादी का डर – कॉपियों में बिखरे जज़्बात
‘पढ़ाई जारी रखना चाहती हूं, शादी नहीं करना चाहती’ – लड़कियों की पुकार
शिक्षक असमंजस में – नियम या रहम?
हालांकि ये अपीलें पढ़कर शिक्षकों की आंखें नम हो गईं, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि उत्तर पुस्तिका में केवल छात्र के उत्तरों को देखकर ही नंबर दिए जाते हैं। "हमारा मन तो पसीज जाता है, लेकिन नियमों की एक रेखा है जिससे हम बाहर नहीं जा सकते," एक शिक्षक ने कहा।
UP Board 2025 Copy Checking के दौरान इस तरह की घटनाएं यह दिखाती हैं कि परीक्षा सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं बल्कि सामाजिक, आर्थिक और मानसिक दबावों का भी परीक्षण बन चुकी है। छात्राओं के लिए शिक्षा अभी भी एक संघर्ष है, और समाज में विवाह का डर उनके सपनों पर भारी पड़ रहा है।
‘Emotional notes in UP board copies’ एक ट्रेंड बन चुका है
हर साल परीक्षा के समय इस तरह के इमोशनल नोट्स लिखे जाते हैं। “सर मैं अनाथ हूं”, “मां कैंसर से पीड़ित हैं”, “घर पर खाने के पैसे नहीं हैं” जैसे जुमले अब आम हो चले हैं। लेकिन इस बार marriage threat for failing की गूंज ने सबको झकझोर दिया।
क्या कहता है शिक्षा विभाग?
UPMSP (Uttar Pradesh Madhyamik Shiksha Parishad) का स्पष्ट निर्देश है कि छात्रों को अंक सिर्फ उत्तरों के आधार पर ही दिए जाएं। भावनात्मक अपीलों पर अंक देना पूरी तरह नियम विरुद्ध है। मूल्यांकनकर्ता अगर ऐसा करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है।
समाज की जिम्मेदारी बनाम शिक्षा व्यवस्था की सख्ती
इस घटना से यह सवाल भी उठता है कि क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था मानवीय पक्ष को नज़रअंदाज़ कर रही है? क्या सिर्फ उत्तरों पर आधारित मूल्यांकन पर्याप्त है, जब छात्र इतनी गहराई से टूट चुके हैं कि कॉपी को ही एकमात्र आवाज़ का ज़रिया बना रहे हैं?
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और शिक्षा पर बहस
इस घटना पर कई राजनीतिक नेताओं ने भी प्रतिक्रिया दी। कुछ ने कहा कि यह हमारे समाज में लड़कियों की स्थिति की भयावह तस्वीर पेश करता है, तो कुछ ने शिक्षा व्यवस्था की सख्ती पर सवाल खड़े किए। वहीं, मनोचिकित्सकों ने कहा कि यह छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी है।
शिक्षा सिर्फ परीक्षा नहीं, एक संघर्ष है
इस साल की UP Board Exams 2025 सिर्फ एक शैक्षणिक मूल्यांकन नहीं, बल्कि उन हजारों कहानियों का आइना है जो हमें यह बताती हैं कि छात्रों पर किस कदर पारिवारिक और सामाजिक दबाव हावी है। जब एक छात्रा यह लिखती है कि “सर पास कर दो नहीं तो शादी करा देंगे”, तो यह सिर्फ एक अपील नहीं बल्कि एक सामाजिक व्यथा है। हमें न सिर्फ शिक्षा प्रणाली बल्कि सामाजिक मानसिकता पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है।
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