₹5000 रिश्वत नहीं दी तो बेटे की जान ले ली पुलिस ने! मां बेटे की लाश सीने से लगा के बोली: लखनऊ ले जाऊंगी, वो फिर बोलेगा…




बस्ती में 17 साल के आदर्श की पुलिस कस्टडी में मौत, मां बोली- लखनऊ ले जाएंगे तो बेटा बोलेगा, इंसाफ की मांग तेज़।


5000 रुपये के लिए पुलिस की दरिंदगी: मां ने सीने से चिपकाई बेटे की लाश, बोली- लखनऊ ले जाएंगे तो बोलने लगेगा

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली एक दर्दनाक घटना सामने आई है। यहां के दुबौलिया थाने के उभाई गांव में 17 वर्षीय आदर्श उपाध्याय की पुलिस हिरासत में मौत हो गई। परिवार का आरोप है कि पुलिसवालों ने महज ₹5000 की रिश्वत न मिलने पर आदर्श को इतना पीटा कि उसकी जान चली गई। इस घटना ने पूरे गांव को गुस्से और ग़म में डुबो दिया है।

आदर्श की मां ने बेटे की लाश को अपने सीने से चिपकाए हुए कहा—"अभी तो बोल रहा था… अब चुप है… हम लखनऊ ले जाएंगे तो देखना फिर बोलेगा…"। ये शब्द सिर्फ एक मां की उम्मीद नहीं, उस व्यवस्था पर सवाल भी हैं जिसने एक मासूम की सांसें छीन लीं।

गरीबी बनी आदर्श की मौत की वजह!

आदर्श उपाध्याय, एक सीधा-सादा ग्रामीण लड़का, जिसकी दुनिया सिर्फ गाय चराने और घर के छोटे-मोटे कामों तक सीमित थी। उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था। लेकिन सिर्फ एक सेठ से तंबाकू मांगने पर उसकी ज़िंदगी बदल गई। सेठ ने पुलिस को बुलाया और फिर आदर्श को थाने में उठा लिया गया।

परिजनों का कहना है कि पुलिस ने बिना किसी ठोस वजह के आदर्श को रातभर पीटा। मंगलवार की सुबह भी उसे बेरहमी से मारा गया। उसकी मां बताती है कि पुलिसवालों ने बेटे को छोड़ने के लिए ₹5000 की मांग की थी, जो वह नहीं जुटा सकी। इसी की सज़ा बेटे को मौत के रूप में मिली।

पिटाई से लहूलुहान हुआ आदर्श, अस्पताल पहुंचने से पहले तोड़ा दम

सोमवार रात पुलिस ने आदर्श को हिरासत में लिया और रातभर उसके साथ मारपीट की। मंगलवार की सुबह जब मां थाने पहुंची, तो आदर्श की हालत नाज़ुक थी। उसका मुंह खून से लथपथ था और शरीर थरथरा रहा था। मां ने पुलिस से बेटे को छोड़ने की गुहार लगाई, लेकिन जवाब मिला- "₹5000 लाओ, नहीं तो बेटे का कुछ पता नहीं चलेगा।"

पुलिस वालों ने आदर्श के छोटे भाई से एक कागज पर जबरन कुछ लिखवाया और फिर उसे सौंप दिया। मां ने किसी तरह एंबुलेंस का इंतजाम किया और उसे लेकर सीएचसी हरैया पहुंचीं। लेकिन वहां से आदर्श को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।

पुलिसिया क्रूरता के खिलाफ फूटा जनाक्रोश

आदर्श की मौत की खबर से गांव में मातम फैल गया। लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। परिजनों और ग्रामीणों ने शव को रखकर प्रदर्शन किया और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की। वे चाहते थे कि इन हैवानों को तुरंत सस्पेंड कर मुकदमा दर्ज किया जाए।

सूचना मिलते ही पुलिस के उच्चाधिकारी मौके पर पहुंचे। सीओ सिटी ने परिजनों से बातचीत की और कार्रवाई का भरोसा दिया, जिसके बाद पोस्टमार्टम के लिए परिजन तैयार हुए।

मां का बयान: "बेटे को छोड़ने के लिए मांगे ₹5000, नहीं दिए तो मार डाला"

आदर्श की मां ने थाने में हुई घटनाओं का ब्योरा देते हुए बताया कि सोमवार को उनके बेटे को पुलिस ने उठाया और रातभर थर्ड डिग्री दी। मंगलवार दोपहर जब वह थाने पहुंची, तो बेटे को जमीन पर पड़ा देखा। उसका पूरा शरीर सूजा हुआ था। पुलिसवालों ने उनसे कहा- "₹5000 लेकर आओ, वरना बेटे का नामोनिशान नहीं मिलेगा।"

गरीब मां के पास इतने पैसे नहीं थे। उसने हाथ जोड़कर विनती की लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं सुना। बेटे को जब छोड़ा गया, तब वह खून से लथपथ था। मां उसे लेकर अस्पताल भागी लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।

गांव में पसरा मातम, हर आंख नम

उभाई गांव में आदर्श की मौत ने हर आंख को नम कर दिया है। लोग अब भी उस मासूम की चीखें अपने कानों में महसूस कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि आदर्श कोई बदमाश नहीं था, वह तो गांव में सबसे शांत लड़का था। उसकी मौत ने पूरे गांव को झकझोर दिया है।

क्या ₹5000 की कीमत एक जान से ज्यादा है?

इस सवाल का जवाब अब राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को देना है। आखिर कब तक गरीबों को ऐसे ही रौंदा जाता रहेगा? कब तक सिस्टम की दरिंदगी का शिकार बनते रहेंगे मासूम?

आदर्श की मां आज भी यही कहती है, "लखनऊ ले जाएंगे, वो फिर बोलेगा..." लेकिन हकीकत यह है कि उसका बेटा अब कभी नहीं बोलेगा। उसकी आवाज़ हमेशा के लिए खामोश कर दी गई।

न्याय की मांग: दोषियों पर हो सख्त कार्रवाई

परिजन और ग्रामीण अब एक ही मांग कर रहे हैं कि दोषी पुलिसवालों पर हत्या का केस दर्ज हो और उन्हें बर्खास्त कर जेल भेजा जाए। अगर इस बार भी इंसाफ नहीं मिला तो शायद अगली बार कोई और आदर्श ऐसी क्रूरता का शिकार बन जाए।

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