अजीत पवार वक्फ बिल पर चुप क्यों? लोकसभा में वोटिंग के बाद भी NCP की भूमिका पर सस्पेंस बरकरार



वक्फ संशोधन बिल पर लोकसभा में मतदान के बाद भी अजीत पवार गुट की एनसीपी की भूमिका साफ नहीं, सस्पेंस गहराया।



लोकसभा में बुधवार को जब Waqf Board Amendment Bill 2024 पर वोटिंग हुई तो सियासी गलियारों में हलचल मच गई। बिल के पक्ष में जहां 288 वोट पड़े वहीं विरोध में 232 वोट दर्ज हुए। लेकिन इस अहम वोटिंग के बाद भी सबकी नजरें टिक गईं अजीत पवार की पार्टी NCP (Ajit Pawar faction) पर, जिसने वोटिंग में तो भागीदारी निभाई, पर रुख नहीं बताया।

बिल पर चर्चा से लेकर वोटिंग तक के हर पल में सबकी नजरें इस बात पर थीं कि महाराष्ट्र में सत्ता की भागीदार अजीत पवार की एनसीपी आखिर क्या फैसला लेगी? लेकिन वोटिंग से पहले भी और बाद में भी न तो पार्टी के किसी सांसद ने और न ही खुद अजीत पवार ने कोई बयान दिया।

लोकसभा में वोटिंग के दौरान NCP की भूमिका रहस्यमय

लोकसभा में बुधवार को करीब 13 घंटे चली चर्चा के बाद देर रात करीब दो बजे यह बिल पास हुआ। इस दौरान एनसीपी के सांसद सुनील तटकरे ने वोटिंग तो की लेकिन यह नहीं बताया कि पार्टी की आधिकारिक भूमिका क्या रही। सवाल यह है कि क्या अजीत पवार जानबूझकर वोटिंग में पार्टी लाइन पर पर्दा डाल रहे हैं या फिर उनके पास इस मुद्दे पर एक रणनीति है?

मुस्लिम वोट बैंक से जुड़ी है NCP की उलझन

एनसीपी की चुप्पी इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि महाराष्ट्र में उसका Muslim Voter Base काफी मजबूत रहा है। बीते विधानसभा चुनावों में पार्टी को मुस्लिम बहुल इलाकों से अच्छा समर्थन मिला था। पार्टी के वरिष्ठ नेता हसन मुशरिफ और सबा मालिक भी मुस्लिम समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं।

इससे पहले खुद अजीत पवार भी इस बिल को लेकर चिंता जता चुके हैं। उन्होंने साफ कहा था कि, "हम अल्पसंख्यकों के साथ कोई अन्याय नहीं होने देंगे। अगर मुस्लिम समुदाय को इस बिल से कोई आपत्ति है, तो हम उनके साथ हैं।"

बिल पास, मगर एनसीपी की चुप्पी बनी पहेली

एनसीपी की ओर से लोकसभा में बिल पर आधिकारिक बयान नहीं दिया गया। इससे यह सवाल और गहराया कि क्या पार्टी ने बिल का समर्थन किया या विरोध? दूसरी ओर, बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इस बिल को Transparency, Accountability और Uniformity की दिशा में अहम कदम बताया है।

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह बिल किसी भी तरह से मुस्लिम विरोधी नहीं है। रिजिजू ने कहा, "यह बिल शिया और सुन्नी दोनों समुदायों को समान रूप से सशक्त करेगा।"

वोटिंग में खुलकर सामने आई पार्टियों की लाइन

इस बिल पर कांग्रेस, TMC, DMK और अन्य विपक्षी दलों ने खुलकर विरोध जताया। एनडीए घटक दलों ने सरकार के पक्ष में वोट दिया। लेकिन एनसीपी (अजीत पवार गुट) का वोटिंग में रुख अब भी रहस्य बना हुआ है।

महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल

एनसीपी की यह रणनीति महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भी देखी जा रही है। मुस्लिम वोट बैंक को नाराज़ किए बिना सत्ता में बने रहना पार्टी की बड़ी चुनौती है। यही वजह है कि पार्टी ने लोकसभा में न तो खुलकर समर्थन किया और न ही विरोध।

क्या सोच रहे हैं अजीत पवार?

अजीत पवार की चुप्पी ने महाराष्ट्र की राजनीति में अटकलों को हवा दे दी है। सवाल उठ रहा है कि क्या यह रणनीतिक चुप्पी है या दबाव में लिया गया फैसला? अब निगाहें इस पर हैं कि क्या पार्टी राज्यसभा में भी यही रवैया अपनाएगी या अपना रुख साफ करेगी।

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