बरेली में दलित किसान से 52,000 की रिश्वत लेते लेखपाल का वीडियो वायरल, डीएम तक पहुंची शिकायत, कार्रवाई की उम्मीद।
संवाददाता शानू की रिपोर्ट
तालाब का पट्टा दिलाने के नाम पर मांगी मोटी रकम, रिश्वतखोरी कैमरे में कैद
बरेली। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के हाफिजगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले छोटे से गांव सोरहा में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने पूरे राजस्व विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक दलित किसान से तालाब का पट्टा दिलाने के नाम पर ₹52,000 की रिश्वत लेते लेखपाल का वीडियो सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से वायरल हो रहा है। मामले की गूंज अब जिलाधिकारी कार्यालय तक पहुंच चुकी है।
दलित किसान से ठगे ₹52,000, फिर भी नहीं मिला तालाब का पट्टा
गांव सोरहा निवासी जगदीश नामक किसान ने बताया कि जून 2024 में ग्रामसभा की भूमि पर बने तालाबों के पट्टे बांटे जा रहे थे। इस अवसर का लाभ उठाने के लिए उन्होंने संबंधित लेखपाल से संपर्क किया। लेखपाल ने पट्टा दिलाने के बदले में 52,000 रुपये की मांग की और यह राशि नकद में ले ली गई।
कई महीनों के इंतज़ार के बाद जब पट्टा नहीं मिला, तब जगदीश को ठगे जाने का एहसास हुआ। जब उन्होंने लेखपाल से पैसे वापस मांगे, तो हर बार उन्हें टाल दिया गया। अंततः किसान ने पूरे मामले की शिकायत डीएम से कर दी।
रिश्वत लेते हुए लेखपाल का वीडियो वायरल, सोशल मीडिया पर मचा हड़कंप
इस पूरे प्रकरण को और भी गंभीर बना दिया उस वीडियो ने, जिसमें कथित रूप से लेखपाल को रिश्वत की रकम लेते हुए देखा जा सकता है। वीडियो में दिख रहा है कि कैसे किसान लेखपाल को मोटी रकम सौंप रहा है, और लेखपाल उसे ‘काम हो जाएगा’ कहकर आश्वस्त करता है। वीडियो वायरल होते ही विभागीय महकमे में खलबली मच गई है।
डीएम ऑफिस में दी गई शिकायत, कार्रवाई की उम्मीद जगी
पीड़ित किसान जगदीश ने वीडियो को साक्ष्य के तौर पर जिलाधिकारी कार्यालय में प्रस्तुत किया और साथ में एक लिखित शिकायत दी। शिकायत में भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और अनुसूचित जाति उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
वहीं जब मीडिया ने लेखपाल से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने न तो कॉल रिसीव की और न ही कोई जवाब दिया। इससे संदेह और गहराता जा रहा है।
SDM का बयान – “लेखपाल को पट्टा देने का अधिकार ही नहीं”
नवाबगंज के उपजिलाधिकारी अजय कुमार उपाध्याय ने बताया कि लेखपाल को पट्टा जारी करने का कोई अधिकार नहीं होता। यह कार्य तहसील स्तर की समिति के अंतर्गत आता है। उन्होंने कहा कि अभी तक कोई आधिकारिक शिकायत नहीं आई है, लेकिन यदि शिकायत मिलती है और जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो लेखपाल पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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