बरेली में सरकारी टीचर ऑनलाइन गेमिंग की लत में डूबे, कर्ज से टूटे और लापता हुए, पत्नी का रोता वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल।
बरेली: एक शिक्षक, जो बच्चों को उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाता है, खुद जब अंधेरे में खो जाए तो यह समाज के लिए एक चेतावनी बन जाती है। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले से एक ऐसी ही दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां एक सरकारी स्कूल के अध्यापक पुष्पेंद्र गंगवार पिछले चार दिनों से लापता हैं। वजह बनी- ऑनलाइन गेमिंग की लत।
शिक्षक की लत बनी कर्ज की वजह, फिर गायब
इज्जतनगर थाना क्षेत्र के त्रिलोक बिहार कॉलोनी निवासी पुष्पेंद्र गंगवार एक सरकारी स्कूल में शिक्षक के पद पर तैनात थे। बताया गया कि उन्हें ऑनलाइन गेमिंग की ऐसी लत लग गई कि उन्होंने धीरे-धीरे हजारों नहीं, लाखों रुपये गेम्स में गंवा दिए। इसके बाद उन्होंने कर्ज लेना शुरू किया और यह कर्ज उनके कंधों पर बोझ बनता गया। मानसिक तनाव, आर्थिक दबाव और भविष्य की चिंता ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया।
बुधवार शाम से लापता, फोन भी स्विच ऑफ
बुधवार की शाम पुष्पेंद्र अपने घर से निकले और वापस नहीं लौटे। रात होते-होते चिंता बढ़ने लगी और परिवार ने उन्हें खोजना शुरू किया। लेकिन न कोई पता चला, न कोई सुराग। मोबाइल भी बंद मिलने लगा। मजबूर होकर परिवार ने इज्जतनगर थाना में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई।
पत्नी का रोता-बिलखता वीडियो वायरल, ‘घर लौट आओ…’
पुष्पेंद्र की पत्नी का एक भावुक वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। उसमें वो आंसुओं के साथ अपील कर रही हैं- “पता नहीं आप किस हाल में हो, लेकिन घर लौट आओ। बच्चे आपके बिना नहीं रह पा रहे। मैं भी टूट गई हूं। बस एक बार आ जाओ।“
इस वीडियो ने लोगों के दिलों को झकझोर कर रख दिया है। यूजर्स सोशल मीडिया पर लगातार शिक्षक को घर लौटने की अपील कर रहे हैं।
पुलिस की जांच शुरू, कॉल डिटेल्स खंगाली जा रही हैं
इज्जतनगर पुलिस अब पुष्पेंद्र की तलाश में जुट गई है। कॉल डिटेल्स खंगाले जा रहे हैं और संभावित लोकेशनों की तलाशी ली जा रही है। पुलिस का कहना है कि वह जल्द ही उन्हें सकुशल ढूंढ निकालने में सफल होगी।
पढ़ा-लिखा समाज भी नहीं बचा गेमिंग के जाल से
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि एक पढ़ा-लिखा शिक्षक, जो बच्चों को मोबाइल से दूर रहने की सलाह देता है, खुद उस जाल में ऐसा फंसा कि खुद को बर्बादी की ओर ले गया।
यह सिर्फ पुष्पेंद्र की कहानी नहीं है, बल्कि देश के हजारों घरों में पल रही एक खतरनाक सच्चाई है। गेमिंग के नाम पर जुए जैसा वातावरण तैयार हो रहा है, जिसमें युवा ही नहीं, अब शिक्षक जैसे जिम्मेदार लोग भी फंस रहे हैं।
ऑनलाइन गेम्स की काली सच्चाई
शुरुआत में टाइमपास, फिर लत और उसके बाद मानसिक अवसाद—ऑनलाइन गेम्स का यह चक्र हजारों परिवारों को तोड़ चुका है।
बच्चों पर भी बुरा असर, स्कूलों में जरूरत है गाइडेंस की
अगर एक शिक्षक खुद इस लत का शिकार हो सकता है, तो बच्चों का क्या होगा? ऐसे में स्कूलों में डिजिटल डिटॉक्स और साइकोलॉजिकल गाइडेंस अनिवार्य होना चाहिए।
सोशल मीडिया पर उठी आवाज- ऑनलाइन जुए पर लगे रोक
इस घटना के बाद लोग सोशल मीडिया पर यह मांग कर रहे हैं कि सरकार ऑनलाइन गेमिंग पर सख्त नियंत्रण लागू करे। कई यूजर्स ने लिखा- “ये गेम नहीं, डिजिटल ड्रग्स हैं। इन्हें रोकना जरूरी है।”
मनोवैज्ञानिकों की सलाह: समय रहते पहचानें लक्षण
मनोचिकित्सकों का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति रोज घंटों फोन में लगा रहे, पैसे की मांग करे, चिड़चिड़ा हो जाए और अकेलेपन में घिरे—तो यह गेमिंग एडिक्शन के लक्षण हो सकते हैं। इसे अनदेखा करना परिवार के लिए घातक हो सकता है।
अब भी वक्त है संभलने का
पुष्पेंद्र गंगवार जैसे केस एक चेतावनी हैं। यह समाज को, परिवारों को, और विशेषकर शिक्षकों और पैरेंट्स को यह समझाते हैं कि ऑनलाइन गेमिंग सिर्फ मनोरंजन नहीं, एक खतरनाक दलदल बन चुका है।
आखिरी अपील- घर लौट आइए सर…
जहां भी हैं पुष्पेंद्र गंगवार, अगर वो यह खबर पढ़ रहे हों या किसी के जरिए उनके पास पहुंचे—तो जान लें, आपका परिवार आपकी बाट जोह रहा है। आपके बच्चे और पत्नी आपको बेहद प्यार करते हैं। घर लौट आइए… क्योंकि आपकी जगह वहां कोई और नहीं भर सकता।
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