UP पुलिस में उगाही कांड! 'लूट करो या पैसा दो'—थानेदार की दबंगई से थर्राया पूरा थाना, पुलिसकर्मियों ने कमिश्नर से लगाई गुहार



कानपुर में थाना प्रभारी पर उगाही और धमकियों का आरोप, पुलिसकर्मियों ने कमिश्नर से लगाई न्याय की गुहार।


कानपुर में थानेदार का आतंक! पुलिसकर्मियों ने खोली उगाही की पोल
उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने पुलिस विभाग की छवि पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ककवन थाना क्षेत्र में तैनात खुद पुलिसकर्मियों ने अपने ही थाना प्रभारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह उनसे जबरन उगाही करवाते हैं और न करने पर गाली-गलौज कर धमकाते हैं। आरोप लगाने वाले पुलिसकर्मी कोई आम सिपाही नहीं, बल्कि दरोगा, हेड कांस्टेबल और महिला कांस्टेबल तक हैं।

"पैसा चाहिए, चाहे लूट से आए या उगाही से"—थाना प्रभारी पर गंभीर आरोप
18 मार्च को पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार को दी गई लिखित शिकायत में कहा गया है कि थाना प्रभारी धर्मेंद्र गुप्ता ने तैनाती के बाद से ही सभी पुलिसकर्मियों पर अवैध उगाही के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया था। शिकायतकर्ताओं के अनुसार, उन्होंने खुलेआम कहा—"लूट करो या उगाही, मुझे सिर्फ पैसा चाहिए।" पैसे न देने पर थाना प्रभारी गाली-गलौज करते हैं और विभागीय कार्रवाई की धमकी देते हैं।

कौन-कौन हैं शिकायत करने वाले? नाम सामने आने से हड़कंप
शिकायत करने वालों की लिस्ट देख खुद पुलिस महकमा भी चौंक गया। इसमें दरोगा उदयपाल पांडेय, अक्षय गौड़, वरुण कुमार, धीरेंद्र यादव, प्रवीन राव, हेड कांस्टेबल अल्का, महिला कांस्टेबल पूजा चौधरी और सीसीटीएनएस स्टाफ शामिल हैं। इन सभी ने कमिश्नर को लिखित रूप से अपनी बात रखते हुए थाना प्रभारी के तत्काल ट्रांसफर या बर्खास्तगी की मांग की है।

थानेदार की दहशत से जनता भी परेशान, पुलिस भी बेहाल
केवल पुलिसकर्मी ही नहीं, थाना क्षेत्र की आम जनता भी थाना प्रभारी धर्मेंद्र गुप्ता की कार्यशैली से परेशान बताई जा रही है। क्षेत्र में कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं, और लोग थाने में जाने से भी डरने लगे हैं। कई व्यापारियों ने भी नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनसे भी अवैध वसूली की कोशिशें की जाती रही हैं।

कमिश्नर ने जांच के दिए आदेश, पर 16 दिन से रिपोर्ट लंबित
पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने मामले की जांच एडीसीपी पश्चिम विजेंद्र द्विवेदी को सौंपी है, जबकि प्रारंभिक जांच की जिम्मेदारी एसीपी बिल्हौर अमरनाथ यादव को दी गई है। हालांकि, शिकायत के 16 दिन बीत चुके हैं और अब तक कोई रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है। पूछने पर एडीसीपी ने बताया कि “सभी पक्षों के बयान और साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। रिपोर्ट जल्द कमिश्नर को सौंपी जाएगी।”

जनवरी में ही मिली थी तैनाती, तभी से शुरू हुआ उगाही का खेल
धर्मेंद्र गुप्ता को 24 जनवरी को ककवन थाना प्रभारी के तौर पर नियुक्त किया गया था। आरोप है कि तैनाती के तुरंत बाद उन्होंने पुलिसकर्मियों पर उगाही का दबाव बनाना शुरू कर दिया। वे चौकी इंचार्ज और बीट सिपाहियों से भी हफ्ते की रकम तय करवाते थे। जब किसी ने मना किया, तो उन्हें धमकियां और बदसलूकी का सामना करना पड़ा।

डीसीपी ने कहा—निष्पक्ष जांच होगी, दोषी नहीं बख्शा जाएगा
पश्चिम जोन की डीसीपी आरती सिंह ने मीडिया को बताया कि मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद यदि थाना प्रभारी दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, “पुलिस विभाग में अनुशासन सर्वोपरि है। ऐसी घटनाएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।”

पुलिस विभाग में मचा हड़कंप, अधिकारी भी दबाव में
इस मामले के उजागर होते ही पुलिस विभाग में अंदरूनी हड़कंप मच गया है। एक तरफ जहां वरिष्ठ अधिकारी सार्वजनिक छवि को बचाने में लगे हैं, वहीं दूसरी ओर शिकायत करने वाले पुलिसकर्मी मानसिक दबाव में हैं। सूत्रों की मानें तो उन्हें विभागीय बदले की कार्रवाई का डर भी सता रहा है।

क्या ये मामला केवल एक थाने तक सीमित है? उठने लगे व्यापक सवाल
इस घटना ने पूरे प्रदेश के पुलिस सिस्टम पर सवाल उठा दिए हैं। अगर एक थाने के भीतर इतनी बड़ी उगाही की मशीनरी चल रही थी और उसमें शामिल अधिकारी खुलेआम पुलिसकर्मियों को ‘पैसा लाओ’ का ऑर्डर दे रहे थे, तो यह कहीं न कहीं सिस्टम की लापरवाही और अंदरूनी भ्रष्टाचार का बड़ा संकेत है।

अब जनता को न्याय की आस, पर जांच की रफ्तार धीमी
जनता अब इस बात का इंतजार कर रही है कि क्या दोषियों पर वाकई कार्रवाई होगी या मामला समय के साथ ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। पुलिस महकमे की कार्यशैली और पारदर्शिता अब कसौटी पर है। शिकायतकर्ताओं को उम्मीद है कि उनके साहस को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Notifications Powered By Aplu