मोलनापुर में चैत्र नवरात्र की अष्टमी पर श्रीरामचरितमानस पाठ व महागौरी पूजन से भक्तिमय हुआ चौरा माई धाम का पावन स्थल।
इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट
गांव के धार्मिक केंद्र चौरा माई के पवित्र परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में हर वर्ग, हर आयु के श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। माहौल में जैसे आध्यात्मिक ऊर्जा घुल गई हो—हर दिशा से केवल मंत्रों की ध्वनि, शंखनाद और राम नाम का जाप सुनाई दे रहा था।
दूबे परिवार और श्रद्धालुओं की भागीदारी ने जोड़ा समर्पण का रंग
इस विशेष आयोजन में दूबे परिवार के सभी सदस्यों ने तन-मन-धन से भाग लेकर इसे एक यादगार अध्यात्मिक अनुभव बना दिया। सिद्धनाथ दूबे, लाल साहब दूबे, कुँवर साहब दूबे, राकेश दूबे सहित प्रकाश चंद्र दूबे, अरविंद दूबे, शिवेंद्रनाथ दूबे, संजय दूबे, सुभम दूबे और अन्य परिजनों ने मिलकर कार्यक्रम की व्यवस्था को सुचारू रूप से निभाया।
इसके साथ ही दिनेश यादव, प्रेम यादव, अमरनाथ यादव, विकास यादव, अभिषेक यादव समेत गांव के सभी प्रमुख भक्तों की उपस्थिति ने कार्यक्रम में एक समरसता और श्रद्धा का वातावरण बना दिया।
अष्टमी के दिन का विशेष महत्व: भागवताचार्य से विशेष बातचीत
महागौरी पूजन और कन्या भोज बना श्रद्धा का उत्सव
5 अप्रैल को अष्टमी तिथि पर देवी महागौरी की पूजा का विशेष विधान था। इस दिन श्रद्धालुओं ने विधिपूर्वक मां महागौरी की आराधना की। देवी के श्वेत वस्त्र, गौरी रंग और शांत स्वरूप ने भक्तों को विशेष आकर्षित किया।
पूजा के बाद कन्या पूजन का विशेष आयोजन हुआ, जिसमें परंपरा के अनुसार 5, 7, 9, 11 या 24 कन्याओं को आमंत्रित कर पूजन के बाद उन्हें ससम्मान भोजन कराया गया। इसे लेकर गांव भर में भक्तों की सक्रियता और आस्था देखने लायक थी।
महागौरी की कृपा से होती है सिद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति
पुराणों के अनुसार महागौरी देवी का दर्शन अत्यंत दुर्लभ है। यह अष्टवर्षा (आठ वर्ष की आयु) की कन्या के रूप में मानी जाती हैं और श्वेत वस्त्र धारण करती हैं। उनकी पूजा करने से समस्त दुख, दरिद्रता और रोग नष्ट होते हैं और सिद्धि, सौंदर्य और प्रसिद्धि की प्राप्ति होती है।
डॉ. तिवारी ने बताया— "जो साधक ऐश्वर्य, प्रसिद्धि या सिद्धि की कामना करते हैं, उनके लिए महागौरी की उपासना सबसे प्रभावकारी होती है।"
पूरे गांव में नवरात्र की भक्ति में डूबा माहौल
चैत्र नवरात्र का यह पर्व मोलनापुर में केवल एक परंपरा नहीं बल्कि एक भक्ति पर्व बन चुका है। हर वर्ष की तरह इस बार भी पूरे गांव ने इसे पूरी श्रद्धा, विश्वास और उत्साह के साथ मनाया। जगह-जगह देवी गीत, आरती, प्रसाद वितरण और पूजा अनुष्ठान का आयोजन हुआ।
स्थानीय लोगों की भूमिका ने रच दी धार्मिक एकता की मिसाल
इस आयोजन ने न सिर्फ गांव की आस्था को प्रकट किया बल्कि सामाजिक एकता और धार्मिक समर्पण का उदाहरण भी प्रस्तुत किया। गांव के लोगों ने बिना किसी भेदभाव के साथ मिलकर इस आयोजन को सफल बनाया।
अब नवमी तिथि की तैयारी जोरों पर
अष्टमी के समापन के बाद अब महा नवमी की तैयारी पूरे जोर पर है। गांववाले नवमी की भव्य पूजा और कन्या भोज के लिए योजना बना रहे हैं। महा नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होगी, जिनकी कृपा से जीवन में सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
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