वक्फ संशोधन बिल पर विपक्ष एकजुट! मोदी सरकार के खिलाफ राहुल, अखिलेश, पवार से लेकर ओवैसी तक साथ आए, जानिए पूरी खबर।
वक्फ बिल पास, लेकिन मुसलमानों के मुद्दे पर विपक्ष ने कर दिया वो, जो चुनाव में नहीं कर पाए
लोकसभा में बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पर वोटिंग हुई और मोदी सरकार ने इसे पास करा लिया। पक्ष में 288 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 232। बीजेपी भले ही इसे अपनी जीत माने, लेकिन हकीकत में यह विपक्ष के लिए भी बड़ा मौका बनकर सामने आया। जो विपक्ष राज्यों के चुनावों में बिखरा-बिखरा नजर आ रहा था, वही अब इस बिल पर एकसाथ खड़ा हो गया। इसने वो कर दिखाया जो राहुल गांधी, अखिलेश यादव और शरद पवार मिलकर भी चुनावी मैदान में नहीं कर पाए थे।
बिल पर वोटिंग में दिखा विपक्ष का दम
इस बिल पर वोटिंग ने एक बात साफ कर दी कि विपक्ष का भरोसा अभी मरा नहीं है। 232 मतों का विरोध करना उस विपक्ष के लिए टॉनिक जैसा है, जो हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली जैसे राज्यों में हाल ही में करारी हार झेल चुका था। विपक्षी दल, जो INDIA गठबंधन में भी आपसी खींचतान में उलझे थे, इस बार वक्फ मुद्दे पर एकजुट होकर बीजेपी के खिलाफ लामबंद हो गए।
साल भर से सस्पेंस बना था वक्फ संशोधन विधेयक
8 अगस्त 2023 को संसद में पेश हुआ वक्फ संशोधन विधेयक विपक्षी दलों के विरोध के चलते संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया था। इस समिति की रिपोर्ट भारी विरोध और वाकआउट के बीच 13 फरवरी को संसद में रखी गई। समिति ने अपनी रिपोर्ट में 14 संशोधन सुझाए थे, जिन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी। आखिरकार 2 अप्रैल 2024 को यह बिल वोटिंग के लिए पेश हुआ और पास भी हो गया।
विपक्ष का आरोप- मुसलमानों की जमीन हड़पने की साजिश
विपक्ष ने इस बिल को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस समेत तमाम दलों ने इसे असंवैधानिक बताते हुए कहा कि सरकार मुसलमानों की वक्फ संपत्तियों पर नजर गड़ाए बैठी है। कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल ने सदन में कहा कि यह सरकार का असली एजेंडा है- भारत माता को बांटना। समाजवादी पार्टी के मोहिबुल्लाह ने इसे मुसलमानों के समानता और धार्मिक अधिकारों पर सीधा हमला बताया।
विपक्ष ने कहा- ये तो सिर्फ शुरुआत है
राष्ट्रीय जनता दल के सुधाकर सिंह ने तो यहां तक कहा कि आज सरकार मुसलमानों की वक्फ संपत्तियों पर नजर गड़ाए है, कल बौद्ध, सिख और यहां तक कि हिंदुओं के मंदिर भी इसके निशाने पर आ सकते हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, आप और JMM ने भी इस बिल का जोरदार विरोध किया। वाईएसआर कांग्रेस के पीवी मिथुन रेड्डी ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 के खिलाफ करार दिया।
ओवैसी ने फाड़ी विधेयक की प्रति
विपक्षी एकता में सबसे बड़ा नाम रहा AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का। उन्होंने न सिर्फ बिल का विरोध किया बल्कि सदन में इसकी प्रति फाड़ दी। ओवैसी ने आरोप लगाया कि यह बिल भारत के ईमान पर हमला है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुसलमानों के खिलाफ जंग छेड़ना चाहते हैं। ओवैसी ने इसे देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समूह के खिलाफ साजिश बताया।
INDIA गठबंधन में दिखी नई जान
INDIA गठबंधन अभी तक कई मुद्दों पर बिखरा दिखा था। चाहे अडानी मामला हो, चाहे परिसीमन या सीट शेयरिंग का सवाल। सपा-कांग्रेस, TMC-कांग्रेस, AAP-कांग्रेस जैसे रिश्ते उलझे हुए थे। लेकिन वक्फ बिल के मसले पर लगभग पूरा विपक्ष एकजुट दिखा। विपक्ष के तमाम दलों ने एक स्वर में सरकार को घेरते हुए बिल को मुसलमानों के अधिकारों पर हमला बताया।
विपक्ष का दावा- अब बदलेगी तस्वीर
विपक्षी दलों का मानना है कि वक्फ बिल पर मिला 232 का आंकड़ा विपक्ष के लिए बूस्टर डोज साबित होगा। यह आत्मविश्वास अब चुनावी मैदान में भी दिख सकता है। कई नेताओं ने संसद से बाहर निकलते ही कहा कि इस एकता को अब राज्यों और लोकसभा चुनावों में भी दिखाया जाएगा। विपक्ष का दावा है कि वक्फ बिल ने INDIA गठबंधन को नई जान दे दी है।
विपक्ष ने गिनाए पुराने दर्द
इससे पहले विपक्ष ने कई मौकों पर असहयोग और बिखराव झेला। टीएमसी, डीएमके, कांग्रेस, सपा, आरजेडी और अन्य दल कई बार बड़े मुद्दों पर भी साथ नहीं आए। अडानी मुद्दे पर सपा और टीएमसी ने कांग्रेस का साथ नहीं दिया। यूपी उपचुनावों में कांग्रेस और सपा में खटपट रही। महाराष्ट्र में गठबंधन का समन्वय गड़बड़ाया। बंगाल में TMC और कांग्रेस आमने-सामने रही। दिल्ली में भी AAP और कांग्रेस में सीट शेयरिंग नहीं हो पाई। लेकिन इस बार मुस्लिमों के वक्फ मुद्दे ने सारे दलों को एक साथ खड़ा कर दिया।
विपक्षी एकता पर सरकार का पलटवार
सरकार ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज किया। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि यह बिल देशहित में है और वक्फ संपत्तियों को पारदर्शी बनाने के लिए लाया गया है। बीजेपी का कहना है कि विपक्ष बिना वजह इस पर राजनीति कर रहा है और देश को गुमराह कर रहा है। सरकार ने दावा किया कि यह बिल मुसलमानों के अधिकार छीनने के लिए नहीं, बल्कि उनकी संपत्तियों को सुरक्षित रखने के लिए है।
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