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वे दोनों बेचारे तो खिलाड़ियों को “चौदह इंजेक्शनों” से बचा रहे थे
अफसरों सावधान हो जाओ, चौतरफा घूम रहे हैं “मामाजी के जासूस”
इस "महाघोटाले" के सामने तो तमाम पुराने "घोटाले" फीके पड़ गए
आशीर्वाद की तो हमें जरूरत है
जब "दरुओं" को एतराज नहीं तो सरकार काहे परेशान
सावन छोड़ो, पूरे साल ही झूले झूल रहे हैं हम
न कहो "थाईलैंड के गधे" लाने के बहाने अफसर वहां की भी सैर कर आएं
प्यारे चाँद तुम तो खूबसूरती के प्रतिमान हो, ऐसा जुलुम न ढाना
नंबर वन के लिए थोड़ी और मेहनत की जरूरत है भारतीय पत्नियों को
लोग बाग़ चाहते हैं मंहगाई पर "जवानी" न आये वो "बच्ची" ही बनी रहे।
ये फंगस नेताओं के "ट्रेंड" को ही तो "फॉलो" कर रहा है
'आंसुओं' में बहुत ताकत होती हैं 'हुजूरे आला' समझ गए न
'नई बहू' के सामने  'पुरानी बहू' की 'बखत' बचती कँहा हैं
कोरोना जाए भाड़ में, झूम बराबर झूम शराबी
जो खुद ही खिलौना बना हैं, वो क्या खिलौना बनाएगा
रिया के सामने दाऊद की औकात ही नहीं बची.....
दिल के अरमां आंसुओं में बह गए ....
मूंछों से मोहब्बत हो तो गृहमंत्री जैसी
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